अनुवाद के क्षेत्र में कदम रखना एक अद्भुत घटना थी, जो मेरे जीवन को एक अनोखी दिशा में ले गई। इसने मुझे खुद को खोजने की अनुमति दी, मेरी सकारात्मकता में वृद्धि की, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, मुझे अपनी मातृ-भाषा के लिए प्यार जताने का एक बड़ा अवसर मिला। मेरे लिए, यह व्यवसाय केवल आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि एक शौक भी है। यह मेरी स्पष्ट राय है कि मातृभाषा में सीखने के कारण मुझे अपने शैक्षणिक काल का पूरा आनंद लेने का अवसर मिला। पढने के प्रति लगाव के कारण, मैंने बचपन से ही मराठी, अंग्रेजी और हिंदी भाषा की कई किताबें पढ़ी हुई हैं। इसलिए मैं इन तीन भाषाओं में काफी हद तक निपुण हूँ। हालाँकि, शायद इसलिए कि यह मेरी मातृभाषा है या फिर शायद यह मेरे नजरिये से सबसे समृद्ध भाषा है इसलिए, मुझे मराठी से विशेष प्रेम है और यह मेरे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। एक चीज जो मुझे हमेशा परेशान करती है, वह है गलत वर्तनी और व्याकरण संबंधी त्रुटियाँ।
मुझे लगता है, बचपन से ही, मुझे यह जाँचने की आदत लग गई थी कि क्या मेरे द्वारा पढ़ा जा रहा पाठ
व्याकरणिक रूप से सही है और यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं उसे सही
करने की पूरी कोशिश करती थी। वास्तव में, अगर मुझे किसी भी
भाषा में पढ़ते हुए व्याकरण संबंधी त्रुटियां मिलती हैं, तो मुझे उससे चिढ़ मचती है। खैर, इस पृष्ठभूमि पर जब
मुझे अनुवादक के रूप में काम करने का अवसर मिला, तो मैंने हमेशा
इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश की। अनुवाद करने की प्रक्रिया केवल भाषा का परिवर्तन
नहीं है, यह एक कला है और इस कला को सीखने के लिए अन्य कौशलों में महारत हासिल होनी
चाहिए। उसमें से पहला है पढ़ना, दूसरा उचित उच्चारण, और तीसरा स्रोत और लक्ष्य भाषा (मुख्य
रूप से व्याकरणिक) का सम्पूर्ण अध्ययन है। इन तीन
कौशलों में महारत हासिल किए बिना आप एक अच्छे अनुवादक नहीं बन सकते।
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